लाडली बहना योजना में बड़ा घोटाला: 2,289 कर्मचारियों पर कार्रवाई, जानें पूरा मामला

लाडली बहना योजना में बड़ा घोटाला! 2,289 कर्मचारियों पर कार्रवाई

परिचय


मध्य प्रदेश की लाडली बहना योजना, जिसने लाखों महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का वादा किया था, अब एक बड़े फर्जीवाड़े की वजह से सुर्खियों में है। जुलाई 2025 में सरकार की डिजिटल वेरिफिकेशन प्रक्रिया ने खुलासा किया कि 2,289 सरकारी कर्मचारियों या उनके परिजनों ने झूठी जानकारी देकर इस योजना का लाभ उठाया। यह योजना गरीब और जरूरतमंद महिलाओं के लिए बनाई गई थी, लेकिन सरकारी कर्मचारियों की इस धोखाधड़ी ने असली हकदारों के हक पर सवाल उठाए हैं।


मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सख्त रुख अपनाते हुए वसूली और अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश दिए हैं। इस लेख में हम आपको इस घोटाले की पूरी कहानी, योजना की पात्रता, कार्रवाई के कदम, और जनता की प्रतिक्रिया के बारे में विस्तार से बताएंगे। अगर आप भी इस योजना से जुड़े हैं या इसका लाभ लेना चाहते हैं, तो यह जानकारी आपके लिए जरूरी है। आइए, इस मामले को गहराई से समझें।


लाडली बहना योजना क्या है और इसका उद्देश्य


मध्य प्रदेश सरकार ने 5 मार्च 2023 को लाडली बहना योजना शुरू की थी, जिसका मकसद महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना और उनके स्वास्थ्य व पोषण में सुधार करना है। इस योजना के तहत 21 से 60 वर्ष की पात्र महिलाओं को हर महीने ₹1,250 की राशि दी जाती है, जो जल्द ही दीपावली 2025 के बाद ₹1,500 हो जाएगी। यह राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिए सीधे बैंक खाते में जाती है।


योजना की शर्तें साफ हैं: आवेदक मध्य प्रदेश की स्थानीय निवासी हो, उसकी पारिवारिक आय ₹2.5 लाख से कम हो, और वह या उसका परिवार सरकारी कर्मचारी या आयकरदाता न हो। योजना का लाभ विधवा, तलाकशुदा, और परित्यक्ता महिलाओं को भी मिलता है। अब तक 1.29 करोड़ महिलाएं इस योजना से लाभान्वित हो चुकी हैं, और सरकार ने ₹28,000 करोड़ से ज्यादा राशि ट्रांसफर की है। यह योजना सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण का एक बड़ा कदम है।


फर्जीवाड़ा कैसे सामने आया?


लाडली बहना योजना में फर्जीवाड़े का खुलासा डिजिटल वेरिफिकेशन और समग्र पोर्टल के जरिए हुआ। सरकार ने लाभार्थियों की पात्रता जांचने के लिए आधार और समग्र ID आधारित सत्यापन प्रक्रिया शुरू की थी। इस दौरान पाया गया कि 2,289 महिलाएं या उनके परिवार के सदस्य सरकारी कर्मचारी हैं, जो योजना की शर्तों के खिलाफ है। कई मामलों में कर्मचारियों ने अपनी या अपनी पत्नी की जानकारी छिपाकर फर्जी आवेदन किए। कुछ मामलों में पति सरकारी नौकरी में थे, फिर भी पत्नी ने लाभ लिया। इंदौर में 382, भोपाल में 299, और ग्वालियर में 205 ऐसे मामले सामने आए। सरकार ने इसे गंभीरता से लिया और संबंधित विभागों को निर्देश दिए कि इन कर्मचारियों से अब तक दी गई राशि की वसूली की जाए। साथ ही, अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई है, और गंभीर मामलों में FIR भी दर्ज हो सकती है। इस जांच ने योजना की पारदर्शिता को और मजबूत करने की जरूरत पर जोर दिया है।


सरकार की कार्रवाई और वसूली की प्रक्रिया


मध्य प्रदेश सरकार ने फर्जीवाड़े के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्पष्ट कहा कि किसी भी गड़बड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार ने निम्नलिखित कदम उठाए हैं:


वसूली प्रक्रिया: 2,289 कर्मचारियों से अब तक दी गई ₹1,250 प्रति माह की राशि वापस ली जाएगी। यह राशि उनके वेतन से कटौती या कानूनी नोटिस के जरिए वसूली जाएगी।


विभागीय कार्रवाई: संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई है, जिसमें निलंबन या अन्य दंड शामिल हो सकते हैं।


पारदर्शिता के लिए कदम: डिजिटल वेरिफिकेशन को और मजबूत किया जा रहा है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।


FIR की संभावना: जिन मामलों में जानबूझकर धोखाधड़ी की गई, वहां पुलिस कार्रवाई की जा सकती है।


इन कदमों से सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि योजना का लाभ सिर्फ जरूरतमंद महिलाओं को ही मिले। जनता से भी अपील की गई है कि वे फर्जीवाड़े की शिकायत आधिकारिक नंबर 07422-235543 पर करें।


जनता की प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया पर चर्चा


इस फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद जनता में गुस्सा और निराशा देखी जा रही है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, खासकर X पर, लोग इस घोटाले को लेकर सरकार से और सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कई यूजर्स का कहना है कि सरकारी कर्मचारियों की इस हरकत की वजह से गरीब और जरूरतमंद महिलाएं योजना के लाभ से वंचित रह गईं। कुछ लोगों ने इसे सिस्टम की विफलता बताया, जबकि अन्य ने डिजिटल वेरिफिकेशन की तारीफ की, जिसने इस घोटाले को उजागर किया। X पर एक यूजर ने लिखा, “यह शर्मनाक है कि सरकारी कर्मचारी भी ऐसी धोखाधड़ी कर रहे हैं। असली हकदारों का हक छीना जा रहा है।” दूसरी ओर, कुछ लोग सरकार से पूछ रहे हैं कि शुरुआती सत्यापन में यह गलती कैसे हुई। इस विवाद ने योजना की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं, लेकिन सरकार के सख्त कदमों से लोगों को भरोसा है कि सुधार होगा।


लाडली बहना योजना की पात्रता और आवेदन प्रक्रिया


लाडली बहना योजना का लाभ लेने के लिए कुछ साफ शर्तें हैं। आवेदक को मध्य प्रदेश की स्थानीय निवासी, 21 से 60 वर्ष की आयु, और विवाहित (विधवा, तलाकशुदा, परित्यक्ता सहित) होना चाहिए। पारिवारिक आय ₹2.5 लाख से कम और 5 एकड़ से कम कृषि भूमि होनी चाहिए। सरकारी कर्मचारी, पेंशनभोगी, या आयकरदाता इस योजना के लिए अपात्र हैं। आवेदन प्रक्रिया इस प्रकार है:


ऑफलाइन आवेदन: नजदीकी ग्राम पंचायत, आंगनवाड़ी केंद्र, या वार्ड कार्यालय से फॉर्म लें। समग्र ID, आधार, और बैंक खाता विवरण भरें।


ऑनलाइन आवेदन: cmladlibahna.mp.gov.in पर जाकर फॉर्म भरें और दस्तावेज अपलोड करें।


सत्यापन: स्थानीय अधिकारी फॉर्म की जांच करते हैं, और स्वीकृति के बाद राशि DBT के जरिए खाते में आती है।


स्थिति जांच: समग्र ID या आवेदन क्रमांक से पोर्टल पर स्टेटस चेक करें।


योजना की पारदर्शिता के लिए आवेदन निःशुल्क है, और लाइव फोटो अनिवार्य है।


निष्कर्ष और कॉल-टू-एक्शन


लाडली बहना योजना मध्य प्रदेश की महिलाओं के लिए एक क्रांतिकारी कदम है, लेकिन 2,289 सरकारी कर्मचारियों द्वारा किया गया फर्जीवाड़ा इसकी साख को नुकसान पहुंचा सकता है। सरकार की सख्त कार्रवाई और डिजिटल वेरिफिकेशन से यह सुनिश्चित हो रहा है कि योजना का लाभ सिर्फ पात्र महिलाओं को मिले। अगर आप इस योजना की पात्र हैं और अभी तक लाभ नहीं ले पाई हैं, तो तुरंत cmladlibahna.mp.gov.in पर जाकर आवेदन करें। अपनी पात्रता और भुगतान की स्थिति जांचने के लिए समग्र ID या आवेदन क्रमांक का उपयोग करें। अगर आपको फर्जीवाड़े की जानकारी है, तो 07422-235543 पर शिकायत दर्ज करें। इस योजना को सही दिशा में ले जाने के लिए आपका योगदान जरूरी है। आइए, मिलकर यह सुनिश्चित करें कि लाडली बहना योजना का लाभ असली हकदारों तक पहुंचे और उनके सपनों को साकार करे!